बांदा। शासन के लाख कोशिशों के बाद भी जिले में कुपोषित बच्चों का आंकड़ा कम नहीं हो रहा है। जिले में अभी भी करीब दो हजार बच्चे कुपोषित हैं। जबकि हर माह बच्चों को पोषित करने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से बच्चों में कुपोषण दूर करने के लिए लाखों का बजट खपाया जा रहा है। शासन के आदेश पर सितंबर माह में चलाए गए पोषण अभियान के तहत जिले के 1705 आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों का वजन लिया गया। इसमें 7,607 बच्चे कुपोषित व 2,317 बच्चेे अति कुपोषित पाए गए। इसमें 6,175 कुपोषित व 1,785 अति कुपोषित बच्चे बेहतर चिकित्सा, देखभाल व पौष्टिक आहार मिलने से सुपोषित हो गए, जबकि 1,964 बच्चे कुपोषण की चपेट में हैं।जिनका जिला अस्पताल में इलाज चलता रहता है। सरकार कुपोषित बच्चों के आहार के लिए प्रति माह लाखों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन योजनाओं का लाभ गरीब बच्चों को नहीं मिल रहा है। कई आंगनबाड़ी केंद्र केवल कागजों पर संचालित हैं। कभी कभार एक घंटे को खुलने के बाद बंद हो जाते हैं। योजनाओं की मॉनीटरिंग का दायित्व सुपरवाइजरों को दिया गया है, लेकिन वह घर बैठे निरीक्षण कर रहे हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों का प्रति मंगलवार को स्वास्थ्य परीक्षण किया जाना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। उन्हें विटामिन की गोलियां भी नहीं दी जा रही हैं। पोषाहार का वितरण भी आधा अधूरा हो रहा है। इससे कुपोषित बच्चों की संख्या कम नहीं हो रही है।
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