बांदा। जिले में सोमवार को रमजान का चौदहवां रोजा मनाया गया। इसी के साथ ही रोजा अफ़तार की दावतों नें भी रफ्तार पकड़ लिया है। उन्नतीस अथवा तीस रोजे पूरे होने पर चांद के दीदार के मुताबिक ही ईद का त्योहार मनाया जाता है। जिसके चलते रमजान के चौदहवें रोजे को मंझला रोजा अर्थात मध्य का रोजा कहा जाता है। इस रोजे तक आते-आते रोजेदार सब्र के आदी हो जाते हैं। सोमवार को रमजान का चौदहवां रोजा हुआ। मंझले रोजे पर शहर में कई जगहों पर सामूहिक रोजा इफ्तार हुये। इसी कड़ी में मिस्कीन शाह वारसी की दरगाह में इफ्तार पार्टी हुई। इसी क्रम मी एक एक दिन कई पार्टियां हो रही हैं। रमजान का पाक महीना इबादतों का महीना होता है। इस महीने में सवाब का दर्जा सत्तर गुना अधिक होता है। इसके चलते रोजेदार सुबह सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक भूखे प्यासे रहकर परवरदिगार की इबादत करते हैं। रमजान के महीने में उन्नतीस अथवा तीस रोजे होते हैं। जिसके चलते चौदहवें रोजे को मंझला अथवा बीच का रोजा कहा जाता है। मंझले रोजे में अधिकतर लोग रोजा रखकर अल्लाह पाक की इबादत करते हैं। इसके साथ ही बच्चे भी रोजे का एतमाम करते हैं। रोजे का दूसरा नाम सब्र है। कुरान-ए-पाक में लिखा है अल्लाह सब्र करने वालों के साथ है। जन्नत के आठ दरवाजे हैं। जिसके एक दरवाजे से सिर्फ रोजेदार ही दाखिल होंगे। कयामत के दिन अल्लाह रोजेदारों को अपने दस्तरख्वान पर ही खाना खिलाएंगे।
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Tuesday, March 26, 2024
बांदा में मझला रोजा के साथ इफ्तार पार्टियों नें पकड़ा जोर
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