जिला संवाददाता संजू सिलावट 24 क्राइम न्यूज़
गोटेगांव स्थानीय शासकीय सामुदायिक स्वास्थ्य चिकित्सा केंद्र में व्याप्त अनियमितताओं के साथ-साथ अव्यवस्था का बोलबाला होने से मरीज व परिवारजन हलाकान परेशान है सरकार ने करोड़ों की लागत खर्च करके अस्पताल तो बनवा दी लेकिन आज भी मरीजों को समय पर इलाज न मिल पाने की वजह से मरीजों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है थोड़ी सी माया कमाने के चक्कर में भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर अपना फर्ज भूल गये हैं। काफी लंबे अरसे से स्वास्थ्य केंद्र अपनी कार्यप्रणाली के कारण जनचर्चा का विषय बनकर रेफर केंद्र के नाम से मशहूर हुआ है
हर मरीज पर एंबुलेंस चालकों को मोटा कमीशन-स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचे घायल और मरीजों को रिफर करने पर लाने व ले जाने में एंबुलेंस चालकों को केवल दिहाड़ी ही मिलती है, लेकिन कुछ अस्पतालों से मिले एंबुलेंस चालक मरीजों को लाने पर मोटा कमीशन भी वसूलते हैं। और यह प्राइवेट 108 एम्बुलेंसों का मकर जार संपूर्ण क्षेत्र में फैला हुआ है जिसके चलते शासकीय 108 एंबुलेंस के पहले प्राइवेट एंबुलेंस चालक अपनी गाड़ी पहले लेकर पहुंच जाते हैं एक्सीडेंट में हुए घायल व्यक्तियों को शासकीय समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ना लाकर कमीशन के चक्कर में प्राइवेट अस्पताल लेकर भाग रहे हैं। एवं मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं प्राइवेट एंबुलेंस चालक को प्रशासन का बिल्कुल भी खौफ नहीं है पैसे कमाने के चक्कर में अगर मरीज मर भी जाता है
तो उनको किसी भी प्रकार का कोई फर्क नहीं पड़ता है। यहां पर बड़ी बात यह है कि यहां तो जिम्मेदार व क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों द्वारा ध्यान ना देना और प्रशासन द्वारा कार्यवाही न करने से यह मामला लगातार सुर्खियों में रहता है प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जाती है गोटेगांव के शासकीय समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एंबुलेंस चालकों की गैंग इतनी सक्रिय है कि 108 को खबर मिलने के पहले वह अपनी गाड़ी लेकर पहुंच जाते हैं और घायल को लेकर गोटेगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ना लाकर कमीशन के चक्कर में प्राइवेट अस्पताल लेकर भागे चले जाते हैं सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार लगभग 4 माह से शासकीय 108 एंबुलेंस को इवेंट नहीं मिला है आमजन की जन के साथ खिलवाड़-घायल हुए मरीज आनन-फानन में इतने घबरा जाते हैं कि उनको उस समय यह नहीं दिखता कि किस अस्पताल में जाकर हम लोग अपना इलाज कराएं और एंबुलेंस चालकों की बातों में आकर वह अस्पताल में भर्ती हो जाते हैं। जब बिल बनाया जाता है तो बिल बनने के बाद उनके होश उड़ जाते हैं। शासकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक युवक ने अपनी चार पांच गाड़ियों को प्राइवेट एंबुलेंस बनाकर पैसे कमाने में लगा ली है उसको किसी भी मरीज की जान की परवाह नहीं होती है जैसे ही घायलों की जानकारी प्राप्त होती है तो अपनी गाड़ियां भिजवा कर गोटेगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ना लाकर सीधे प्राइवेट अस्पताल लेकर भागे जाते। प्रशासन को शीघ्र इस और ध्यान देकर ऐसे एंबुलेंस चालकों पर कार्रवाई करनी चाहिए जो आमजन की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
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