चंदौसी काव्य गोष्ठी का आयोजन आर एस इण्टर कालेज चंदौसी के प्रधानाचार्य दिनेश पाल सिंह तोमर ’ दिलकश ’ जी के निज निवास सीकरी गेट पुलिस चौकी के निकट किया गया ।
मां शारदे की वंदना करते हुए शिखा राम रावत ने अपना काव्य पाठ पढ़ा...............जय जय जय मां सरस्वती ।
ज्ञान ध्यान विद्या की देवी सब में गुण भरती।। जय जय जय मां सरस्वती काव्य गोष्ठी में अगले कवि के रूप अमित यादव श्याम ने मां को समर्पित करते हुए कुछ इस प्रकार से पढ़ा.......... मातृ भक्ति से ब्रहमा खुश है मॉ भक्ति से खुश पुरवासी ’ मॉ सेवा से विष्णु खुश है मातृभक्ति से खुश अविनाशी । मॉ की सेवा कल्प तरू है माँ की सेवा तीरथ काशी ” वे नर सपनेहु नहि सुख पावे, जिसके घर में मात उदासी।। बदायूं के वरिष्ठ कवि सुखपाल सिंह गौर कानूनगो ( चकबंदी कर्ता ) ने सम्भल ने इस अंदाज में पढ़ा कि.....
संघर्ष के पल भी कैसे कैसे लड़े होंगे, हताशा हाथ आई तो हम रो पड़े होंगे। जीवन के सफर में बड़े हम उस समय होंगे,, अपने पोंछ कर आंसू हम फिर से खड़े होंगे।। चकबंदी विभाग की कनिष्ठ सहायक एवं तहसील चंदौसी की राजस्व लिपिक श्रीमती शांति राना शांति ने पढ़ा मेरी भावनाओ को समझ पाया नहीं कोई। प्रिय के प्यार की मैने ओढ ली लोई। मैनें बहुत समझाया समझकर के भी नहीं समझे। मेरे साथ चलकर के मेरा साथ दे कोई प्रधानाचार्य दिनेश पाल सिंह ’दिलकश ’ ने पढ़ा तुम मेरे जीवन में आओ तो प्रिय’ हम दोनों का भाग्य संवर जाएगा । दुनिया आशीष देगी हमको अपना ” हम दोनों का जीवन निखर जाएगा।। ग़र तुम रूठ गईं प्रिय मुझसे , मेरा जीवन बिखर जाएगा । कौन संभालेगा फिर मुझको" ये दिलकश फिर कहां जाएगा।। तुम मेरे जीवन में आओ तो प्रिय, हम दोनों का भाग्य संवर जाएगा।
ग्रुप लीडर एल0 के0 विकास मिश्रा एडवोकेट ने जिम्मेदारियों पर कुछ इस अंदाज में कहा. मजबूरियों के बाजार में वक्त की मार पड़ी तो आकर खड़ा हो गया पापा अस्वस्थ क्या हुए, एक दिन में ही उनका बेटा बड़ा हो गया कवि अमित यादव ’श्याम ’ ने मां गंगा और जन्म दात्रि मां के सम्मान में बहुत ही भाव विभोर होते हुए कहा कि....... गंगा में नहाकर कर के पाप हम आप धोते हैं ’ मगर घर पर वृद्ध बैठे हुए माँ बाप रोते हैं। नही किन्ही कभी सेवा रहे अपने गुमानों में” गुनाहो से नही छूटे रहे गंगा नहाने में।।
मातृ भक्ति से ब्रहमा खुश है मॉ भक्ति से खुश पुरवासी ’ मॉ सेवा से विष्णु खुश है मातृभक्ति से खुश अविनाशी l मॉ की सेवा कल्प तरू है माँ की सेवा तीरथ काशी” वे नर सपनेहु नहि सुख पावे, जिसके घर में मात उदासी।। युवा कवयित्री कु0 शिवानी दीक्षित महक ने कहा. कोई तो है जो लोगों के दिलों पे राज करता है। वो सृष्टि के हां कण - कण में सदा ही वास करता है।। है जिसके हाथ में मुरली जिसकी मुस्कान है प्यारी। प्रियतम सांवरा मेरा सभी को खास लगता है।। कवि सम्मेलन ग्रुप के संरक्षक अध्यापक एवं मास्टर ट्रेनर मुकेश दीक्षित ने पढ़ा आज बालाजी आयेंगे रामधुन खूब बजायेंगे। अपने भक्तों पर प्रभु जी कृपा बरसायेंगे।।
चंदौसी के धरातलीय समाजसेवी कवि जयशंकर दुबे जी ने कहा अबिरल विरल रहे माँ गंगा । हर हर गंगे जय माँ गंगा ॥
गौर तलब है सभी कवियों व कवित्रियों ने अपनी रचनाओं और अपने तरन्नुम के द्वारा काव्य गोष्ठी को सफल बनाया। काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता प्रधानाध्यापक एवं प्रशिक्षक मुकेश दीक्षित ने की। आयोजन व संचालन दिनेश पाल सिंह तोमर ’दिलकश’ के द्वारा किया गया ।
इस पुनीत काव्य गोष्ठी में राजस्व लेखपाल ज्ञानसिंह ’प्रीतकर’ , भास्कर शर्मा, गौरव शंखधार, नैतिक, घर परिवार के सदस्य आदि लोग मौजूद रहे।
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