रिपोर्ट सदीप दीक्षित बांदा
तिंदवारी (बांदा) 27 अप्रैल ग्राम गोधनी के मौनीबाबा आश्रम में आयोजित 9 दिवसीय संगीतमयी श्री राम कथा के अंतिम दिन उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध कलाकारों द्वारा सीता स्वयंवर की लीला का जीवंत मंचन किया गया। वहीं रविवार को भंडारा के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
मौनीबाबा सेवा समिति गोधनी द्वारा आयोजित 9 दिवसीय संगीतमयी श्री राम कथा में गोते लगाने के बाद श्रद्धालु भक्तों ने रात्रि में सीता स्वयंवर की लीला अवलोकन पूर्ण रसास्वादन किया। दरबार में माता सीता अपनी सखी सहेलियों के साथ स्वयंवर के लिए उपस्थित थी। उनके पिता राजा जनक ने दूर दूर से राजा एवं महाराजा, राजकुमारों और शूरवीरों को आमंत्रित किया था। लंकापति रावण और अयोध्या से सूर्यवंशी महाराज दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र श्री राम के साथ ही कई राक्षस राज और प्रतापी राजा सीता स्वयंवर में भाग लेने आये थे। राजा जनक सीता स्वयंवर के लिए भगवान शिव का धनुष दरबार में प्रस्तुत करते हुए बताते हैं कि मेरा मनोरथ है कि जो भी शूरवीर आज इस दरबार में यह धनुष तोड़ेगा, वो ही मिथिला की राजकुमारी सीता का वर होगा। बाणासुर और लंकापति रावण भी यह धनुष तोड़ने का प्रयत्न करते हैं,
लेकिन वो सफल नहीं हो पाते।अंततः भगवान श्रीराम इस धनुष को तोड़कर माता सीता से विवाह करते हैं। रामलीला का शुभारंभ भगवान की मंगल आरती के साथ किया गया। जहां सबसे पहले अहिल्या उद्धार की लीला का मंचन हुआ।मिथिला से आए एक सेवक के निमंत्रण पर राम-लक्ष्मण विश्वामित्र के साथ मिथिला की ओर प्रस्थान करते हैं।मार्ग में उन्हें पत्थर बनी हुई अहिल्या मिलीं। गुरु विश्वामित्र की आज्ञा से श्री राम ने अपनी चरण रज से अहिल्या का उद्धार किया। इसके पश्चात गंगा तट पर पहुंचकर स्नान किया और पंडा-पुजारियों को दान-दक्षिणा देकर मिथिला की अमराई में विश्राम किया।
इस अवसर पर आनंद स्वरूप द्विवेदी, संदीप द्विवेदी, शत्रुघन द्विवेदी, सभासद दीपू सोनी,अवधेश सिंह,शिवप्रकाश संजय सिंह, भानु कुमार,शशिकांत शुक्ल, शिवम द्विवेदी, गोविंद तिवारी, ऋतिक द्विवेदी, गंगाबाबू द्विवेदी आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
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